Apta Kriya (आप्त क्रिया)
Most Powerful Meditation
Designed for High Quality living
आप्त क्रिया अलग है और पैसा वसूल है
4 Hour Online Workshop
✮✮✮✮ 4.5 / 5 Star Rating
MRP - 2999/-
Deal Price - 999/- (2000 Off)
30 से 60 मिनट रोजाना आप्त क्रिया ध्यान करें और आंतरिक खुशी, संतुष्टि और स्थिरता पाएँ
Legal Warning – Apta Kriya is protected under the Indian Copyright Act. Therefore teaching of Apta Kriya without permission is prohibited.
कपिल आर्य की प्रस्तुति
सांसारिक समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए
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आंतरिक समृद्धि और ऐश्वर्य के लिए
Apta Kriya
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How dangerous are Loneliness, Depression & Anxiety?
क्या आप आगे बढ़ने और खुशहाल ज़िंदगी जीने में संघर्ष कर रहे हैं?
अकेलापन, अधूरापन, उदासी, मायूसी, टूटे दिल और यादों का भावनात्मक दुख आपके लिए समस्या बन गया है?
हम अपनी समस्या के कारणो को जितना अच्छे से समझेगे उतना ही अच्छे से हम उसका समाधान कर पाएंगे|
देखिये जब हमे कोई सच्चा प्रेम नहीं करता, हमे और हमारी भावनाओ को नहीं समझता, हमारा सम्मान नहीं करता, हमे और हमारी खुशियों को महत्व नहीं देता, हमारा साथ नहीं देता, हमे पूरी तरह नहीं अपनाता, तब हम किसी रिश्ते में हो या ना हो, तो हमे उदासी, मायूसी, अकेलापन और अधूरापन महसूस होता है|
और जब हमारे दिल और भावनाओ से खेला जाता है, हमारा इस्तेमाल किया जाता है, हमारे साथ कुछ गलत किया जाता है, हमे अपना बनाकर दुख में तड़पता हुआ छोड़ दिया जाता है, या किसी अन्य कारण से हम अपने साथी से बिछड़ जाते हैं तो हमारा दिल टूट जाता है जिससे असहनीय दुख होता है| खुद को संभालना मुश्किल होता है और ऐसा लगता है जैसे हमने खुद को खो दिया हो|
समस्या यह है कि हम तो दूसरे इंसान से सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम कर सकते हैं| पर दूसरा भी हमसे हमारे जैसा ही सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम करे यह जरूरी नहीं| और दूसरे के ऐसा करने पर हमारा कोई नियंत्रण भी नहीं होता कि हम उससे ऐसा प्रेम करा लें| इसलिए हमे सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम मिलना जुए जैसा होता है जो मिल भी सकता है और नहीं भी|
सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम का ना मिलना ही हमारे दुख का मूल कारण है|
जब हमे सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम नहीं मिल पाता तो हम अकेलेपन को स्वीकार करके इसके साथ जीने लगते हैं या अकेलेपन को अनदेखा करने के लिए खुद को व्यस्त रखते हैं, अलग अलग ढंग से मन को बहलाने की कोशिश करते हैं और खुद को खुद में समेटने लगते है| पर ऐसा करके हम बाहर से तो खुश दिख सकते हैं पर हमारी उदासी, मायूसी, निराशा, अकेलापन, अधूरापन और आंतरिक पीड़ा ऐसे ही नहीं मिटती जैसे भूख स्वीकार करने या अनदेखा करने से नहीं मिटती| जिससे हम अंदर ही अंदर मुरझाने लगते हैं|
हम अपने आंतरिक दुख को महसूस कर रहे होते हैं पर कई कारणो से उसे दूसरों से बता भी नहीं पाते| बहुत भटकने के बाद भी हमे अपनी समस्या का कोई सही समाधान नहीं दिखता|
ऐसे में हम दूसरी ध्यान विधियों को अपनाते हैं तो वे भी अकेलापन, अधूरापन और टूटे दिल के दर्द को जड़ से मिटाने में इतनी कारगर नहीं हो पाती| क्योंकि उन ध्यान विधियों का सारा ज़ोर आते जाते साँसो को देखने, मन और विचारो को मिटाने, किसी साउंड को सुनने, किसी प्रकाश को देखने, किसी कल्पना में खोने और चक्रो को एक्टिवेट करने जैसी बातों पर रहता है| जिससे कुछ शांति तो जरूर मिल जाती है पर आंतरिक सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम अनुभव ही नहीं हो पाता| जिस कारण हमारी आंतरिक जरूरत और प्यास संतुष्ट ही नहीं हो पाती|
हमे सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम चाहिए और ऐसे आंतरिक प्रेम, खुशी और संतुष्टि की प्राप्ति कराने वाली क्रिया का नाम ही आप्त क्रिया है| आप्त क्रिया जिस ब्रह्मांडीय शक्ति से हमारा जन्म हुआ है उससे सरलता से हमारा आंतरिक घनिष्ठ संबंध बना देती है| जिससे हमे ब्रह्मांडीय शक्ति का सच्चा, गहरा और स्थिर प्रेम आंतरिक रूप से पहले ही दिन से अनुभव होने लगता है| और जैसे जैसे हम आप्त क्रिया ध्यान करते जाते हैं वैसे वैसे ही आप्त क्रिया हमारी उदासी, मायूसी, निराशा, अकेलापन, अधूरापन और टूटे दिल के आंतरिक दुखों को सोख कर उन्हे जड़ से मिटा देती है| जिससे हमारे जीवन का आनंद, संतुष्टि और गुणवत्ता कई गुणा बढ़ जाती है|
इस प्रकार आप्त क्रिया आसान होने के साथ साथ उदासी, मायूसी, निराशा, अकेलापन, अधूरापन, टूटे दिल और यादों के भावनात्मक दुख को जड़ से मिटाकर आगे बढ्ने और ज़िंदगी को खुशहाल बनाने का सबसे अच्छा, सस्ता और कारगर तरीका है|
समझदार बने और सही निर्णय लें| आप्त क्रिया ध्यान सीखने के लिए गूगल मीट पर हमारी 4 घंटे की लाइव वर्कशॉप के लिए अभी रजिस्टर करें|
आप्त क्रिया निश्चित तौर पर काम करती है पर आपके लिए किसी काम की नहीं
- यदि आप वर्कशॉप में अंत तक भाग लेने का धैर्य नहीं रख सकते|
- यदि आप सत्य को सत्य के रूप में ना देखकर अपनी सोच, विश्वास और मान्यता के चश्मे से देखते हैं|
- यदि आप स्वतंत्र बुद्धि के स्वामी नहीं है अर्थात आपने अपनी बुद्धि किसी के पास गिरवी रखी हुई है|
- यदि आप भ्रम को ज्ञान और झूठ को अंतिम सत्य समझ बैठे हैं और उसमे परिवर्तन नहीं करना चाहते|
- यदि आप सत्य को स्वीकार नहीं कर पाते और उसमे श्रद्धा नहीं रख पाते|
- यदि आपको जो बताया जाता है उसे आप व्यवहार में उतारने के इच्छुक नहीं है|
- यदि आप आप्त क्रिया का अभ्यास इसकी विधि के अनुसार नहीं करते हैं|
- यदि आप आप्त क्रिया का अभ्यास पूरे मन और भावना से नहीं कर सकते|
- यदि आप परिणाम आने तक आप्त क्रिया का अभ्यास निरंतरता से नहीं करते|
✮✮✮ Reviews & Ratings ✮✮✮
जैसे मिठाई की मिठास का अनुभव स्वयं खाने के बाद ही किया जा सकता है, किसी दूसरे के द्वारा मिठाई खाई जाने से उसकी मिठास का अनुभव आप नहीं कर सकते| वैसे ही आप्त क्रिया की मिठास का अनुभव भी इसका अभ्यास करने के बाद स्वयं ही किया जा सकता है| और उसके बाद आप निश्चित तौर पर आप्त क्रिया के फैन बन जाएगे| इसलिए आप्त क्रिया का अभ्यास स्वयं करें और खुद फ़र्क महसूस करें| फिर भी अगर आप दूसरे के अनुभव को भी महत्व देते हैं तो आप नीचे दूसरे लोगो के अनुभव को रिवियू में पढ़ सकते हैं|